सिलसिला मुस्कुराहटों का......
सिलसिला मुस्कुराहटों का......
मुस्कुराहटों को मुस्कुराने दो
बेवजह ही सही जरा गुनगुनाने दो
खुशियों की लड़ियों से
मुस्कुराहटों को सज धज जाने दो
भीतर के जख्मों को
मुस्कुराहटों का मरहम लग जाने दो
पलकों की नमी को
मुस्कुराहटों से धुल जाने दो
टूटे बिखरे मन को संभल जाने दो
मुस्कुराहटों का सिलसिला शुरू हो जाने दो
मुस्कुराहटों को मुस्कुराने दो.......
मुस्कुराहटों से क्या रंजिशें
हंसते खिलखिलाते मुस्कुराहटों से
मोहब्बत हो जाने दो
दौड़ते भागते रेत की तरह फिसलाते
वक्त की आंख मिचौली में
मुस्कुराहटों को कसकर थाम लो
मुस्कुराहटों की ओट से कभी दर्द
कभी खामोशियों का झांकना
मुस्कुराकर इन्हें अलविदा कह दो
बरसों से धुंधले पड़े एहसासों को
मुस्कुराने का वजह दो
मुस्कुराहटों का सिलसिला शुरू हो जाने दो
मुस्कुराहटों को मुस्कुराने दो.....
