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Swati K

Others

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Swati K

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सफर ख्वाहिशों का........

सफर ख्वाहिशों का........

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ख्वाहिशों का हाथ थाम 

ख्यालों में खोया बेवजह 

मुस्कुराता कभी गुनगुनाता

मंजिलें तलाशता चला जा रहा 

सफर ख्वाहिशों का आसां ना था........


ना जाने कितनी दफा 

कभी खामोशी से झांकती 

कभी शोर करती ख्वाहिशें 

आज मचल रही 

भीतर का पिंजड़ा खोल

पंख फैलाने को बेकरार थी.......


हौले-हौले ख्वाहिशें अपनी 

मौज में जी रही 

पर......

कशमकश थी या कोई उलझन

समझ ना पाया 

खुद को ख्वाहिशों की 

कतारों में उलझा पाया

राहें धुंधला सी गई

मंजिलों का फासला बढ़ता गया.......


बेतहाशा सी भागती ख्वाहिशें 

ठहरना चाह रही 

कुछ कहना चाह रही 

अनछुए अनकहे एहसासों को

अल्फाजों में बिखेरना चाह रही....... 


धुंध छटती जा रही 

मंजिलें शायद मुकम्मल हो गई 

सफर ख्वाहिशों का थम सा गया.....



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