STORYMIRROR

Swati K

Classics

4  

Swati K

Classics

#जिंदगी#मुस्कुराहटें......

#जिंदगी#मुस्कुराहटें......

1 min
213

थोड़ी कशमकश थोड़ी उलझनें
तपती तीखी बरसती धूप में छांव ढूंढ ली
जिंदगी तेरे राहे-ए-सफर में मुस्कुराहटें ढूंढ ली.....

हल्की हल्की बारिशों में भीगती शामें
भीगी गीली सुरमयी शामों में
बूंदों संग यूं ही गुनगुनाने लगी
बेनूर सी शामों में नूर का लौट आना
मुमकिन सा लगने लगा
अंधियारे पे जब एतबार करने लगी
अंधियारे से खौफ क्यों
स्याह रातों के पार सुबह ढूंढ ली
जिंदगी तेरे राहे-ए-सफर में मुस्कुराहटें ढूंढ ली.....

दौड़ते भागते वक्त से कुछ लम्हें समेटकर
दूर आसमां से उतरी सुबह की लाली निहारती
तृप्त आंखों ने उम्मीदे संजो ली
कुछ ख्वाब जो पलकों पे सजे थे
कोशिशों की ऊंगली थाम राहें ढूंढ ली
जिंदगी तेरे राहे-ए-सफर में मुस्कुराहटें ढूंढ ली......

थोड़े आंसू थोड़ी हंसी की
गठरी लिए चलती जा रही
तपती तीखी धूप गुनगुनी सी लगने लगी
कभी किनारे बैठ लहरों के शोर में मानो
पन्नों पे बिखरे कुछ नज्मों को धुन मिल गई
बरसों से धुंधलाये एहसासों ने जीने की वजह ढूंढ ली
छलकती आंखों ने मुस्कुराहटें ढूंढ ली
जिंदगी तेरे राहे-ए-सफर में मुस्कुराहटें ढूंढ ली.....स्वाती


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics