होली की मस्ती
होली की मस्ती
सब रंगों के मेल से जैसे सज उठती रंगोली
वैसे ही सतरंगी- सी होती है प्यारी होली
सब मिल जाते भुला कर निज जाति धर्म और बोली
भारत में होली खेलें सब संग-संग बन हमजोली।
बजे नगाड़े झांझर झम झम ढोल बजावै ढोली
रंग भरी पिचकारी में रंगों की शरारत घोली।
जो जितना नटखट है उतनी नटखट उसकी टोली
आते जाते राहगीरों से देखो कर रहे ठिठोली।
कृष्ण मंडली धूम मचाती हुई यहाँ से वहाँ डोली
राधे सब है समझती तुम न समझना उसको भोली।