Ranjana Mathur

Inspirational

4.5  

Ranjana Mathur

Inspirational

ग़ज़ल

ग़ज़ल

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क़फ़स में बंद पंछी को उड़ाना भी ज़रूरी है।

कि घुटती ज़िन्दगी में सांस आना भी ज़रूरी है।

कफ़स में बंद…….. 


करो तुम बागबां बनकर के रखवाली ख़ियाबां की

कि मुरझाए गुलों में जान लाना भी ज़रूरी है। 

कफ़स में बंद…….. 


ग़मों की धूप है बादल सुखों के भी तो बरसेंगे

विदाई रात की हो भोर आना भी ज़रूरी है ।

कफ़स में बंद…….. 


कभी ऐसा मिले कोई जिसे मेरी ज़रूरत हो

भरोसा जहन में उसके जगाना भी ज़रूरी है। 

कफ़स में बंद…….. 


बचा लो हाथ देकर डूबते को तुम सहारा दो

कि सीरत में तेरी ईमान आना भी ज़रूरी है।

कफ़स में बंद…….. 


रखो उतने ही नाते जो कि तुमको रास आ जाएं

बनाते हो अगर रिश्ता निभाना भी ज़रूरी है।

कफ़स में बंद…….. 


नहीं कोई किसी का है कहे 'रंजन' सुनो तुमसे 

नकाबों से यहाँ चहरा सजाना भी ज़रूरी है। 


कफ़स में बंद पंछी को उड़ाना भी ज़रूरी है।


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