नारी तू नारायणी
नारी तू नारायणी


मस्तक घर परिवार हमारा
समझ रहीं हैं न हम भार।
हैं स्वावलंबन की प्रतिमूर्ति
जीवन से नहीं मानें हम हार।
निश्चित तन कोमल हैं हमारे
आत्मविश्वास भरी है चाल।
पथ पर सुदृढ़ कदम हमारे
करते कष्टों संग कदमताल।
पुरुष संग कंधे हम मिलाते
घर में पूर्ण सेवाएं देते हम।
दोनों दायित्व निभाते बखूबी
कोई भ्रांति न ही कोई भ्रम।
हम नारी परिवार की धुरी हैं
धैर्य सहनशीलता में अग्रणी।
यूँ ही नहीं धर्म ग्रंथों ने बोला
भारत में नारी को नारायणी।