हक़ीकत या सपना
हक़ीकत या सपना
हक़ीकत या सपना
यह हक़ीकत है या सपना
क्या यह देश वास्तव में हो गया है अपना ?
जहाँ चोर ईमानदारी का पाठ पढ़ा रहा है
महिला वर्ग को माँ बहन बता रहा है।
छोड़ कर बलात्कार का रास्ता
बड़े प्यार का दे रहा है वास्ता।
नेता बन गया अभिनेता
शुरु हो गया युग त्रेता।
छोड़ दी बेईमानी और रिश्वतखोरी
ईमानदारी से भरने लगा अपनी तिजोरी।
मन्दिरों में शंख बजे और नाद
महात्मा भी दिखावे से आ गए बाज।
माया चाहिए न नाम
बस जंगल में कुटिया को बनाया अपना धाम।
भिक्षा से चल जाता उनका काम
दीक्षा में मिला सिर्फ राम नाम।
छोड़ कुटिलता और आडम्बर का वेश
भगवान के बन गए सच्चे दरवेश।
खून से सींचने लगे रिश्ते
सब बन गए एक दूसरे के लिए फरिश्ते।
छोड़ कटुता और बैर
सब पूछने लगे एक दूसरे की खैर।
भाई-भाई पर नहीं करता वार
पहला धर्म अतिथि सत्कार।
खत्म हो गया कत्ल और कातिल का अध्याय
प्रेम और भाईचारे पे सबकी एक राय।
खत्म हो गया आतंकवाद,
धर्म पर नहीं होता वाद-विवाद,
खत्म हो गए बलात्कारी और भ्रष्टाचारी,
रिश्वत की लाचारी,
काला बाजार की महामारी,
घोटालों की सवारी,
झूठ फरेब की यारी,
तेरी रहे न हमारी,
निश्चल और स्वच्छ समाज की भरने लगी लारी,
प्रेम सूत्र में बंधने लगी जनता सारी।
ऐसे स्वच्छ समाज का कब होगा निर्माण
गाँधी जी का सपना महान।
यह हकीकत होगी या सपना
क्या वास्तव में ऐसा देश होगा अपना।