माँ अगर मिलती मुझे ---
माँ अगर मिलती मुझे ---
माँ अगर मिलती मुझे ---
माँ अगर मिलती मुझे
तेरे आँचल की छाँव तो क्या बात होती---।
अमावस में भी चाँदनी रात होती
लोरी सुनाता मुझे चंदा मामा
पंखा झुलाती तारों की बारात होती।
माँ अगर मिलती मुझे
तेरे आँचल की छाँव तो क्या बात होती---।
मैं भी चलती तुम्हारी उंगली पकड़ कर
मेरी भी कुछ औकात होती
कठिन डगर में तुम हर लेती मेरी सारी पीड़ा
तम में भी चाँदनी रात होती।
माँ अगर मिलती मुझे
तेरे आँचल की छाँव तो क्या बात होती---।
सुख-दुख हमारी सांझी होती
तूफानों के बवंडर में फँसी
कश्ती की तुम मांझी होती
मेरी भी इस जमीं पर मात होती
जिंदगी से कभी भी अगोचर
यह चाँदनी रात होती।
माँ अगर मिलती मुझे
तेरे आँचल की छाँव तो क्या बात होती---।
मैं भी तेरे आगोश में
दीन-दुनिया से बेखबर सोई होती
कितनी बेफिक्री भरी मेरी हयात होती
हर रोज चाँदनी रात होती।
माँ अगर मिलती मुझे
तेरे आँचल की छाँव तो क्या बात होती---।
मुझे भी परियों की कहानियाँ सुनाती
चाँद-सितारों के देश की सैर करवाती
मेरी किस्मत का रुठा सितारा
आसमाँ से नहीं,
भूलोक पर ही मुझे लाडो-लाडो बुलाती।
माँ अगर मिलती मुझे
तेरे आँचल की छाँव तो क्या बात होती---।