माँ
माँ
लोग मंदिर में रब ढूँढते हैं
माँ, मैंने तुझमें उस खुदा को देखा है...
हैं पता नहीं कि वो खुदा कैसा दिखता होगा,
पर मेरी नजरों से देख तो वो हूबहू तुझसा ही होगा...
इस रेगिस्तान सी तपती जिंदगी में
बारिश की पहली फुहार सी है तू..
ममता का सागर हैं
प्रेम रूपी मोती है तू..
चिलचिलाती धूप में नंगे पैर तुझे खड़े,
मेरी राह जोते देखा है...
माँ, मैंने तुझमें उस खुदा को देखा है...
है भूख नहीं है कहकर,
तुझे अपने हिस्से की रोटी मुझे खिलाते देखा है..
दिया तुने मुझे सबकुछ
ना होने दी कभी कोई कमी....
कड़कती ठंड में तुझे बिना स्वेटर के ठिठुरते देखा है..
तेरे प्यार के आँचल में मैंने रब को देखा हैं...
है मुझ पर ये अहसान तेरा..
ना कर पाऊँगी कभी पूरा,
ये मेरी ज़िंदगी तेरी अमानत है...।।