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Divya Patel

Drama

4  

Divya Patel

Drama

फर्क नहीं पड़ता

फर्क नहीं पड़ता

1 min
280


फर्क नहीं पड़ता अब तेरे होने - ना - होने से, 

सुबह की चाय अकेले पीनी

अब ज्यादा अच्छी लगने लगी है..


फर्क नहीं पड़ता अब तुझसे बात ना करने पर,

क्योंकि दिन अच्छा गुजरता है अकेले होने से..

फर्क नहीं पड़ता अब " तू मेरा नहीं है "


ये जानकर, इक तसल्ली तो है मन में

ये सोचकर कि हर कोई

अपना नहीं होता सिर्फ मान लेने से..


फर्क नहीं पड़ता अब तेरी

कही किसी भी बात को सुनकर,

अब मेरे कानों को मालूम हो चला है


कि क्या सच है क्या झूठ

फर्क नहीं पड़ता अब " तुझसे "


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