STORYMIRROR

VINOD PANWAR पंवार_विनोद

Inspirational

4  

VINOD PANWAR पंवार_विनोद

Inspirational

दुनियादारी

दुनियादारी

1 min
582

बोझ कंधों पर अब जरा भारी है,

हम पर जो घर की ज़िम्मेदारी हैI


मैं मेरे मसलों से भाग नहीं सकता,

पूछो जरा मुझे ऐसी क्या लाचारी हैI


अपनों की मार सह लेता हूँ हँसकर,

अकेले में रोने की जो हमें बीमारी हैI


जिंदा हैं तो गाली भी देंगे तुझे लोग,

मरने पे याद करना तो दुनियादारी हैI


ज़िंदगी महंगी है तो इसे जीना पड़ेगा,

मौत का क्या, मौत तो चीज सरकारी हैI


इतनी आसानी से कैसे हारूँ मैं ज़िंदगी,

अभी तो बाकी मुझमें भी तो खुद्दारी हैI


मेरा जो हिस्सा है वो ही मिला है मुझे,

किस्मत कैसे, ये तो मेरी काश्तकारी हैI


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational