आँखें और दिल
आँखें और दिल
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मैं क्या सिर्फ आँख हूँ
जो चुपचाप बस देखती रहूँ,
महसूस न करूँ,
मैं धड़कता हुआ एक दिल भी हूँ
जो बिन कहा दर्द सुन लेता है
और आँखों से ब्यान कर देता हैI
पानी भर आता है इन आँखों में,
ये खामोश हो जाती हैं जब दर्द हद से गुज़र जाता है,
लेकिन मैं सिर्फ आँखें नहीं हूँ, एक दिल भी हूँ;
ओह तुम क्या समझे थे, स्वचालित यंत्र हूँ,
नहीं मैं एक अभिमंत्रित मंत्र हूँI
प्राण प्रतिष्ठित है मुझमें,
कोई अचेतन मूरत नहीं हूँ,
मैं एक सुंदर मन हूँ,
उड़ान को बेचैन पंख हूँ,
मुस्कुराने वाले लब हूँ,
मधुर गीत वाला कंठ हूँ,
सुकर्मों से सुशोभित हस्त हूँ,
ध्यान से फिर देखो मुझे -
मैं सिर्फ आँख नहीं हूँ
जो चुपचाप सिर्फ देखती रहूँ!!