वक़्त रुकता नहीं
वक़्त रुकता नहीं
कुछ लोग कभी नहीं बदलते,
ये तो वक़्त है जो बदल देता है,
मौका दे खुद के साँचे में ढ़लने को,
मजबूर करता है उन्हें बदलने को,
उनसे अपनी रफ्तार पकड़वाता है,
जो चाहे वो सब करवाता है।
ये अपने परायों का भेद भी बताता है,
ना चाहे तो भी सब्र दे जाता है,
वक़्त अच्छा और बुरा भी आता है,
इसके हिसाब से हर कोई रंग दिखाता है,
जिंदगी कम तो जीने को वक़्त नहीं,
और वक़्त ज्यादा तो जीने की समझ नहीं।
वक़्त सबका हिसाब रखता है,
हर पन्ने में खुली किताब रखता है,
ये हर किसी को तौलता है,
कभी तेरा कभी मेरा वक़्त बोलता है,
कोई मशगूल है तो वक़्त बचता नहीं
और कुछ के लिए वक़्त रुकता नहीं।