कुछ भी नहीं खोया
कुछ भी नहीं खोया
घनघोर अँधेरी रात,
छोड़ चुके अपने भी साथ,
भाग्य ने भी तेरे साथ किया अन्याय,
किस्मत ने भी तुझे मार दी लातI
चाहे तेरे विपरीत हो
ये तेज चलती हवा,
चाहे तूने अपनी
शक्ति दी हो गवां,
चाहे क्षीण हो गया हो
तेरी बाजुओं का बल।
चाहे तुझे नज़र न आये
किसी मुश्किल का हल,
तेरा रोम-रोम करे दर्द
तू हो गया हो थक कर चूर।
तेरी थकान भी
तुझे रुकने को करदे मजबूर
और दुनिया को लगे
तुझे कुछ न होगा अब हासिल,
तुझे भी नजर आती हो
बहुत दूर तेरी मंजिल,
लेकिन अभी भी जलती हो
तेरे दिल में आशा की मशाल।
अगर अभी भी नज़र आती हो
तेरे कदमों में आत्मविश्वास की चाल,
अगर अभी भी जज्बा है तेरे दिल में
कठोर मेहनत करने का,
अगर तेरी आँखों में नज़र न आये
थोड़ा भी भय मरने का,
अगर तूने मंजिल को पाने का
एक सपना अभी भी हो संजोया,
तू सुन ऐ राहगीर
तूने अभी कुछ नहीं खोया।