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Dinesh charan

Inspirational

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Dinesh charan

Inspirational

कर्मयोगी

कर्मयोगी

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हर रात मै देखता

आसमां में एक कोने

पर ठहरे हुये तारे को

और मोन लेकिन 

आँखों की भाषा मे

बाया कर देता

अपने सारे दुःख ।

और कर देता

खुशियों का इज़हार ।

बदले में वो भी 

अपनी टिमटीमाहट मे

दे देता जवाब ।

एक रात पाया मैंने

उस कोने को खाली ।

घिर गया में अवसाद में

किसे कहूंगा दुःख 

किससे करूँगा इज़हार खुशियों का ।

अगले ही पल था 

दिल में खयाल 

दुनिया तो नशवर है ।

इस तारे की तरह होगी 

सभी की समाप्ति।

अब मेरा दुःख 

ख़त्म हो चूका था ।

और खुशिया उदासीन ।

और सुख दुःख से परे

मैं बन गया कर्मयोगी ।

   


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