गुल्लक
गुल्लक
मिलते हैं जो हमको पैसे रुपये
कभी मामी ताऊ चाचा ताई से
कभी दादी बुआ नानी भाई से
संजोकर गुल्लक हम हैं रखते
जैसे- जैसे गुल्लक भरती जाती
चेहरे की मुस्कान भी बढ़ जाती।।
गुल्लक है हम बच्चों की धरोहर
जैसे प्रकृति के तालाब बावड़ी
जैसे पहाड़ मैदान नदियाँ समुद्र
जैसे वसुंधरा पर तरुवर उपवन
पंछी जीव जन्तु कीट संरक्षण
वैसे गुल्लक में होता संचित धन।।
गुल्लक हम सबको बहुत प्यारी
जरूरत के समय बहुत उपकारी
हे प्रभु! हर गुल्लक सदा भरी रहे
धरती को गुल्लक से भरना होगा
साँसों को नव जीवन देना होगा
खुशहाल होगी तभी जिन्दगानी।
शगुन के तौर सब देते पैसे देहले
बच्चों को लगते ये अमूल्य उपहार
मिट्टी और भाँति-भाँति की गुल्लक
हमारी धन धरोहर की रक्षा करती हैं
वैसे ही हम पृथ्वी का संरक्षण करेंगे
प्रकृति को संसाधन गुल्लक से भरेंगे।।