कविता की श्रेष्ठता
कविता की श्रेष्ठता
मंद मंद उर में उतर जाती,
भाव भंगिमाओं से,
भाव विभोर कर जाती,
सवेदानाएँ कविता बन जाती।
निराशाओं को आशाओं में,
बदलने की असीम .....
संभावनाएँ लेकर आतीं,
यही कविताएँ कहलातीं।
कभी तुकांत रूप में सृजन हो,
मात्राओं का ज्ञान करातीं,
अतुकान्त होकर भी,
अपनी सृष्टि को समझातीं,
यही कविताएँ कहलातीं।।
शब्द शब्द में दृश्यों को,
साकार करने में सक्षम,
बनने हर संभव को,
सहजता से दर्शाती,
सच! ये कविताएँ हीं,
क्षण में ब्रहाण्ड का ,
विचरण करातीं,
यही कविताएँ कहलातीं।।
काव्य सृजन साहित्यकार का,
आइना बन उपासक से ,
उपासना के श्रेष्ठता से ,
श्रेष्ठतम की ओर ले जातीं।
अतः कविता हर युग में,
हर अवस्था में गढ़ी जातीं,
यही कविताएँ कहलातीं।।