STORYMIRROR

Priti Arun Tripathi

Classics

3  

Priti Arun Tripathi

Classics

होली

होली

1 min
194


फ़ागुन की फुहार् है होली

रिम झिम सी बहार है होली

रंग बिरंगे रंगों में लिपटी

एक अनोखी साँझ है होली,


गुज़िया ,पापड़, नमकीन,

मिठाई हर घर बनते

कुछ रोज़ ही आगे

गीत फ़ागुन के गा चटकारे

मीठी चाशनी में घुल के डुबाते,


गीत बिरहा के गाते बजाते

टोली के साथ है जब थिरकते

भाँग ठंडई का जोश भरके

हर होलिहार है जब हँसते,


कई रंगों में रंग के हर मन

रंग बिरंगी यादों को सँजोता

अपनी हर बातों को भूलकर

सिर्फ प्यार के रंगों में है रंगता।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics