फ़ौजी की मोहब्बत
फ़ौजी की मोहब्बत
अक्सर लोग कहते है कि
हम फ़ौजी बड़े सख़्त होते हैं,
जी जनाब, इसी सख्ती की वजह से ही
हर दुश्मन हमसे दो कदम पीछे जो रहते हैं,
बेशुमार मोहब्बत तो हम भी करते है
वतन के ख़ातिर ही अपना हर कदम जो रखते है,
इसी कदम पे ही तो मौत से यारी है अपनी
तिरंगे को लहराता देखना यही ख्वाईश है बस दिल की,
बातें तो यहाँ दिन-रात हमारी भी होती है
अपनी राइफल के संग जो है मेरी महबूब मेरी हमदम इक,
मेरे इस इश्क की खुमारी में मेरे जूनून की तलब है
मेरी आँखों में तिरंगे का नशा और हाथों में देशभक्ति की
लकीरों का गहरा रंग जो है,
कच्ची उम्र में ही हम अंतिम-पग रख
एक कैडेट से वीर जवान होते है
देशहित के फ़र्ज़ में मिले गर शहादत तो फिर
वहीं वीर अमर जवान भी हम बनते है,
आरजू तो बस यही रहती हर पल की
दुश्मनों को मार गिरा कर ही ये दम निकले,
बेपनाह मोहब्बत करते है हम इस वतन से
तिरंगे से ही लिपट मातृभूमि पे अपनी दोनों आँखें मूंदे।
