प्रकृति
प्रकृति
देखो कुदरत आज यहाँ
जाने कितना सख्त हुई है,
देखो आसमां के उस रंग को
ना जाने कितना वो बेरंग हुई है
आखिर क्या हुआ है इनको
बदलने लगे है क्यूँ ये ऐसे
कोई तो कारण होगा इनका भी
कहीं ये कारण हम मनुष्य ही नहीं
इन्होंने तो कितने छाँव दिए हैं
पर बदले में हमने तो ज़ुल्म ही किये हैं,
प्रकृति का इतना अनमोल उपहार मिला
पर समझ बैठे है हम बेमोल इसे
कोई नहीं अब हम बदलेंगे
इसे बचाने का प्रण करेंगे,
अपना अपना पूर्ण सहयोग देकर
इसके अस्तित्व को सुरक्षित करेंगे।