जब पहेली ही बार शोषण होता देख, क्यूं ना कोई बोला था ? जब पहेली ही बार शोषण होता देख, क्यूं ना कोई बोला था ?
कभी चुप रहती नहीं कभी बेजुबां सी। कभी चुप रहती नहीं कभी बेजुबां सी।
इस बात का तुझे इल्म नहीं मैं कोरा कागज़ नहीं और तू मेरी कलम नहीं। इस बात का तुझे इल्म नहीं मैं कोरा कागज़ नहीं और तू मेरी कलम नहीं।
कविता गढ़ती है शब्द और शब्द गन्धाते हैं कविता जैसे चौपाल से संसद तक गढ़ी जाती हैं ज़ुल्म की अनगि... कविता गढ़ती है शब्द और शब्द गन्धाते हैं कविता जैसे चौपाल से संसद तक गढ़ी जाती...
उस ज्वाला का तेज़ तेरे अस्तित्व को नोचेगा। कब तक, तू यूँ बचता फिरेगा। उस ज्वाला का तेज़ तेरे अस्तित्व को नोचेगा। कब तक, तू यूँ बचता फिरेगा।
सब चुपचाप सह जाती रोने की आवाज भी ना आती , ना करें ऐसा एहसास आवाज उठा , हिम्मत रख, लोगों की खासिय... सब चुपचाप सह जाती रोने की आवाज भी ना आती , ना करें ऐसा एहसास आवाज उठा , हिम्म...