जीवन के अनेक रंग
जीवन के अनेक रंग


कितने चेहरे हैं इस जग में,
सबकी एक अलग कहानी है,
सबकी अपनी कुछ खुशियाँ हैं,
सबकी अपनी परेशानी है,
कोई कहता है कोई सुनता है,
कोई हँसता है कोई रोता है,
कोई सब में घुलमिल रहता है,
कोई अपने में ही खोता है,
कितनी बातें कितने किस्से,
कहीं बचपन कहीं जवानी है,
कोई संजीदा हद से ज्यादा है,
कहीं अल्हड़ सी नादानी है,
इस रंग बिरंगे जीवन की,
कीमत जिसने पहचानी है,
उसने ही जग को जीता है,
कुछ कर जाने की ठानी है।