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S Ram Verma

Abstract

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S Ram Verma

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अग्निपूंज ।

अग्निपूंज ।

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एक अधूरा सपना 

हर रात मुझे सोने  

नहीं देता है


तुम्हारा मेरे आस 

पास होने का एहसास 

मुझे भरमाता है


तब बार बार मैं 

अपनी अँगुलियों के 

पोरों को छूता हूँ


जिन्हे तुम अक्सर 

अपनी अँगुलियों में 

जकड़ती थी


तब उसका नर्म और 

गर्म एहसास मुझे 

अग्निपुंज जा जलाता 

रहता है !


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