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nisha mittal

Abstract

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nisha mittal

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वक्त

वक्त

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वक्त की रफ्तार में उलझा सा लम्हा

भटकती राहों से गुजरता थका -तन्हा सा लम्हा ।

शब्दों के तीरों में फंसा तीखा सा लम्हा

खामोशियों को भी पिरोता सा लम्हा

तकरार की जुबान पर संकोची सा लम्हा

होंठों पर ठहरी मुस्कान सा लम्हा

शतरंज की बिसात पर दाँव लगाता लम्हा

जीवन की धूप में राहत की छाँव सा लम्हा

फासलों की लकीरों में सिमटा हुआ लम्हा

नजदीकियों से बेकल सा लम्हा

अरमानों के बोझ तले दबा लम्हा

हकीकत से लड़ता हुआ लम्हा

अहसासों के धागों में कसा हुआ लम्हा

ढील पाने को बेताब सा लम्हा

अंतिम पड़ाव पर नये मोड़ तलाशता

शांत हुआ लम्हा।

                                     


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