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अभिषेक कुमार 'अभि'

Abstract Inspirational

4.5  

अभिषेक कुमार 'अभि'

Abstract Inspirational

होना चाहिए

होना चाहिए

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अमीर या ग़रीब वो रहीम होना चाहिए

आदमी ज़मीर से शरीफ़ होना चाहिए


जेब खाली या भरी ज़ुबाँ मगर शालीन हो

हैसियत हो कुछ, अदब रईस होना चाहिए


जहान हो रक़ीब सारा मुझको हैं नहीं गिला

एक बस क़रीब का हबीब होना चाहिए


न हो भले तू जश्न में कभी भी शा-मिल मगर

ज़रूरी है के ग़म में तो शरीक़ होना चाहिए


मुल्क़ से है तू के न ये मुल्क़ तुझपे है रुका

तू मिटे पर मिट्टी न मलीन होना चाहिए


ज़िन्दगी गुज़र रही है बेसलीका बस यहाँ

जीने का हुनर, कुछ तरतीब होना चाहिए


क़ाफ़िए में फर्क़ हो तो रहने दीजिए ‘अभि’

एक ही मगर तेरा रदीफ़ ‘होना चाहिए’।


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