हिंदी कविताएं एवं ग़ज़ले लिखता हूँ। राँची झारखण्ड का रहने वाला, विभिन्न साहित्यिक संस्थानों से जुड़ा हूँ। पत्रिकाओं में प्रकाशित हूँ। पेशे से चिकित्सक हूँ।
दुनिया के रंग ढंग पे हैरान हो गया, ग़म ए ज़िन्दगी के मारे परेशान हो गया। दुनिया के रंग ढंग पे हैरान हो गया, ग़म ए ज़िन्दगी के मारे परेशान हो गया।
उल्फ़त में दूरी है, फुरक़त नहीं है, बेवफ़ाई मेरी तो फ़ितरत नहीं है। उल्फ़त में दूरी है, फुरक़त नहीं है, बेवफ़ाई मेरी तो फ़ितरत नहीं है।
क़ाफ़िए में फर्क़ हो तो रहने दीजिए ‘अभि’ एक ही मगर तेरा रदीफ़ ‘होना चाहिए’। क़ाफ़िए में फर्क़ हो तो रहने दीजिए ‘अभि’ एक ही मगर तेरा रदीफ़ ‘होना चाहिए’।
यह कैसी आई बीमारी? नाम है कोरोना महामारी। यह कैसी आई बीमारी? नाम है कोरोना महामारी।
मुस्कान शक़्ल पर लाता हूँ; मैं व्हाइट कोट में आता हूँ। मुस्कान शक़्ल पर लाता हूँ; मैं व्हाइट कोट में आता हूँ।
इक कैंडल मार्च निकलता है, ट्विटर पर पोष्ट चिपकता हैं; दिन चार शोर मचाते हैं, धरने प इक कैंडल मार्च निकलता है, ट्विटर पर पोष्ट चिपकता हैं; दिन चार शोर मचाते है...
उसके बारे में सोच हासिल ही क्या ? जो वक़्त हाथों से निकला, चला गया। उसके बारे में सोच हासिल ही क्या ? जो वक़्त हाथों से निकला, चला गया।
छिड़ गई जंग टीवी पे फ़साद रहा फैला, बाहर माहौल ख़ुशनुमा आवाम का रहा। छिड़ गई जंग टीवी पे फ़साद रहा फैला, बाहर माहौल ख़ुशनुमा आवाम का रहा।
तुम न घर पे, रौशनी कहाँ दर दरीचे कोठे जीने में तुम न घर पे, रौशनी कहाँ दर दरीचे कोठे जीने में
ऊँचे खिले हौसलों के रंगबिरंगे पतंग लपेट ले अब ऊँचे खिले हौसलों के रंगबिरंगे पतंग लपेट ले अब