Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Kusum Joshi

Abstract

4.5  

Kusum Joshi

Abstract

जीत का एहसास

जीत का एहसास

1 min
252


खग विहग मृदंग संग झूमते धरा गगन,

धिमिद् धिमिद् निनाद से तीव्र नद प्रमाद से,

लहर लहर लहर रही हवा भी आज कह रही,

चल रही है संग संग झूमते धरा गगन,


बदलाव ने बयार से वीणा ने तार से,

सुर ने संगीत से छेड़ा एक राग है,

राग में जो रागिनी बन जीवन की संगिनी,

चलती है मंद मंद झूमते धरा गगन,


हर्ष और उल्लास का एक अलग एहसास का,

रंग है बिखर रहा बढ़ रहे विश्वास का,

विश्वास का अतीत से मन का जैसे मीत से,

तार आज जुड़ रहा ऐसी ही गीत से,


दीपों की डोर संग उल्लास भरे शोर संग,

साथ साथ साथ हम झूमते धरा गगन,

कुछ और शेष पाना क्या देखना दिखाना क्या,

साथ आप चल रहे रात से डर जाना क्या,


रात आज हारती रोशनी पुकारती,

मंज़िल ना दूर है बस कुछ कसम ओ सारथी,

जिस पथ चले वो धूल कण हर पात पात और तृण,

कर रहे तुमको नमन कि झूमते धरा गगन।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract