STORYMIRROR

Dr. Vijay Laxmi"अनाम अपराजिता "

Abstract

4  

Dr. Vijay Laxmi"अनाम अपराजिता "

Abstract

हंसी

हंसी

1 min
12


बिन शोर किए धीरे-धीरे,

आती है यह हंसी प्यारी।


जीवन के रंगों में घुलकर,

खुशी से स्मित खिलकर।


रूप रंगीनी है बिखराती,

मन को कैसे ये उमगाती।


छोटी-छोटी खुशी के लम्हे,

हैं रंग भरी पिचकारी बरहे।


अंधियारे घेर लें दिल को,

हंसी फुहारे भरें मन को।


हंसी, जीवन की मिठास है,

बिन उसके अधूरी आस है।


चलिए ,खुशी होली मनाते,

हंसी संग जीवन पल सजाते


बरहे -खेतों में सिंचाई के लिए बनी छोटी नाली

          




Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract