मेरी हार का जश्न मनाना
मेरी हार का जश्न मनाना
मेरी जीत का नहीं मेरी हार का जश्न मनाना,
और जब मैं हारूँ मेरे कफ़न पर हँसी उड़ाना।
मुझे लूटने वाला उस दिन छोड़ देगा कहीं सड़क पर,
तुम देख-देख मुझको तब कोसना खूब वहीं तड़प कर,
मेरी बर्बाद हुई ज़िन्दगी पर अपनी आबादी से इतराना,
मेरी जीत का नहीं मेरी हार का जश्न मनाना।
मुझे आदत है बार-बार हारने की सुनो दुनिया वालों,
मैं एक नारी हूँ सुनती आई हूँ पुरुषों की ललकार प्यारों,
इस बार भी गर हार गई तो खूब जी भर के मुस्कुराना,
मेरी जीत का नहीं मेरी हार का जश्न मनाना।
मैं लुटने को तैयार खड़ी फिर जलन तुम्हे क्यूँ हो रही ?
मेरी धमनियाँ खुद मुझको नये रक्त में भिगो रहीं,
किसी नये साथ के हाथ को हमे आता खूब निभाना,
मेरी जीत का नहीं मेरी हार का जश्न मनाना।
मेरी ज़िन्दगी का ये आखिरी दाँव मुझे खेलने दो एक बार,
ज़रा मैं भी तो देखूँ कितना सच्चा और झूठा है उसका प्यार,
जिसे तसल्ली ना मिले वो मेरी मैयत पर कांटे बिछाना,
मेरी जीत का नहीं मेरी हार का जश्न मनाना।
मेरी जीत का नहीं मेरी हार का जश्न मनाना,
और जब मैं हारूँ मेरे कफ़न पर हँसी उड़ाना।