दिल का क़त्ल करके
दिल का क़त्ल करके
दिल का क़त्ल करके मुस्कुरा रहा है वो
मुझपे बिजलियां गिरा के जा रहा है वो।
गर्दिशों की छा गयी अब तो बदरियां
मयकदे में जा के डग-मगा रहा है वो।
बेखुदी में दर्द का तोहफा दिया मुझे
बेवफा इल्ज़ाम सर लगा रहा है वो।
जिसकी चाहतो में धड़कने हैं चल रही
बेबसी के आग में जला रहा है वो।
'साहिल' न लग सके सागर की कश्तियाँ
इसलिए तूफान भी बुला रहा है वो।