फ़ाज़िल मुंसिफ तो सिर्फ क़ानून जानता है क़ातिल को मक़तूल का खून पहचानता है जिंदा लाशें ज फ़ाज़िल मुंसिफ तो सिर्फ क़ानून जानता है क़ातिल को मक़तूल का खून पहचानता है ...
'साहिल' न लग सके सागर की कश्तियाँ इसलिए तूफान भी बुला रहा है वो। 'साहिल' न लग सके सागर की कश्तियाँ इसलिए तूफान भी बुला रहा है वो।