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Satyendra Gupta

Abstract

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Satyendra Gupta

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चाहिए

चाहिए

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खटखटाते रहिए दरवाजा

एक दूसरे के मन का,

मुलाकातें ना सही

आहटें आती रहनी चाहिए ।


दूर से ही पूछिए हाल चाल

एक दूसरे के मन का

मिलन ना सही

यादें आती रहनी चाहिए।


भोजन कीजिए मत एक साथ

चर्चा करे खाए क्या

व्यंजन ना सही

वॉट्सएप पे शेयर होनी चाहिए।


अपने पिता से मिलो ना मिलो

फॉर्मलिटी करो मिलने का

मिलो ना सही

फादर्स डे पे पिक शेयर होनी चाहिए।


मां का दूध का कर्ज भूल जाओ

जिसने कष्ट किया है पलने का

उनकी इच्छा पूरी न हो सही

मदर्स डे पे पिक शेयर होनी चाहिए।


दिखावटी दुनिया का हिस्सा बनो मत

दिखावट दिखाने का

कर्ज में डूब जाओगे सही

विचार , रहन सहन साधारण होनी चाहिए।


अपनी दुनिया अपने दम पे करो खड़ा

जो मरते दम तक रहेगा अडिग और अड़ा

मुश्किल आयेंगी सही

पर असली सुकून रहनी चाहिए।


पत्नी के अंदर केवल पत्नी ही नहीं

मां की ममता झलकाइए

तभी मां का दर्द समझेंगी सही

ममता का एक भाव होनी चाहिए।


रास्ते हमेशा सीधी नहीं, 

टेढ़ी भी है

काम उसका मंजिल पहुंचना सही

मुकाम पाने का हसरत होनी चाहिए।



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