राहत
राहत
ए खुदा मुझे एक मुकाम दे दे
कुछ नहीं बस राहत का अंजाम दे दे
मत कर मुझे खुद से ही रुसवा
खुद से ही नजरे मिला सकूँ
बस एक ही अंजाम दे दे
मैं लाख इम्तिहान दे दूं
किसी को भी धोखा दूं
बस यह इम्तिहान ना ले
खो दूंगी खुद को गर गुनहगार बन बैठी
गुनाहों की दुनिया से पनाहागार कर दे
मेरे दामन में चाहे लाख इम्तिहान भर दे
ए खुदा किसी और का गुनहगार बनने से पनाह दे
मेरे राज का बस तू ही राजदार बन
ऐ खुदा बस अपना ही गुनहगार रख
मुझे डर नहीं दुनिया जमाने का
तू ही गवाह हैं मेरे हर एक गुना का
ऐ खुदा मुझे एक मुकामे मंजिल
बेगुनाहों की एक महफिल दे
खुशियों का हर एक दिल दे
एक नई महफिल दे
