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KHUSHNUMA BI

Abstract Inspirational

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KHUSHNUMA BI

Abstract Inspirational

नारी पीड़ा

नारी पीड़ा

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एक शोला बनाया जमाने ने मुझको

ताप्ती भट्टी में है झुलसाया मुझको 


मैंने कब चाहा था जमाने को दुश्मन बनाना 

जमाने ने मुझको खुद पत्थर बनाया 


मैंने तो अपने सीने में सारा जहां समाया

इस जहां ने मुझको सबसे अलग है दिखाया


क्या किया था हमने गुनाह 

इस जहां को खुद से ज्यादा था चाहा


कर बैठी थी एक खता

लोगों के लिए था हमने जीना चाहा


 खोलें थे पंख उड़ान भरने को 

रोका अपनों ने बस यही ठहरने को 


फूल बना चाहा था दुनिया में महकने को 

कांटे भी ना बनाया इस जहान ने उन पर चलने को 


ना दिया मौका हमको खिलने को



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