सिद्धांत
सिद्धांत
अंग रंग सब है भंग
चारों ओर मची हुई है जंग
दिल में ना कोई है प्रेम का रंग
दिल की खुशियां है आज हुई भंग
ना कोई है एक दूजे संग
दिल की बस्ती है आज बड़ी बेरंग।।
दिल है ना कोई उमंग
ना साथ है किसी के सिद्धांत संघ
अरमानों की उड़ गई पतंग
दिल का आसमान हुआ बेरंग
दिलों में छिड़ी है जंग
रिश्तो की डोर भंग भंग
खाली है आसमा
खुशियां है बरंग
ना कोई है किसी
ना ममता बनी आज पतंग
मुश्किल है मंजिलों की राह
संग हो जब दुख का जहां
फिर कैसे देखेंगे खुशी का आसमान
दिल में जबभर गई है नफरत बेपनाह
सिद्धांतों का सिद्ध नहीं
दिल में कोई विरुद्ध नहीं ।।।