STORYMIRROR

KHUSHNUMA BI

Tragedy

4  

KHUSHNUMA BI

Tragedy

सिद्धांत

सिद्धांत

1 min
15



अंग रंग सब है भंग

चारों ओर मची हुई है जंग


दिल में ना कोई है प्रेम का रंग

दिल की खुशियां है आज हुई भंग


ना कोई ‌ है एक दूजे संग

दिल की बस्ती है आज बड़ी बेरंग।।


दिल है ना कोई उमंग

ना साथ है किसी के सिद्धांत संघ


अरमानों की उड़ गई पतंग

दिल का आसमान हुआ बेरंग


दिलों में छिड़ी है जंग

रिश्तो की डोर भंग भंग


खाली है आसमा

खुशियां है बरंग


ना कोई है किसी

ना ममता बनी आज पतंग


मुश्किल है मंजिलों की राह

संग हो जब दुख का जहां


फिर कैसे देखेंगे खुशी का आसमान 

दिल में जबभर गई है नफरत बेपनाह


सिद्धांतों का सिद्ध नहीं

दिल में कोई विरुद्ध नहीं ।।।  


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy