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KHUSHNUMA BI

Abstract

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KHUSHNUMA BI

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शृंगार

शृंगार

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सादगी ही श्रृंगार है

चमक तो कुछ पल की मेहमान है ,

सुंदरता सादगी की पहचान ह

 झूठी तो पल भर की मुस्कान है,,


आंसू आईने की पहचान है 

झुकी पाल के सच्चाई का बयान है ,

उठी नजरे हकीकत का इनाम है 

अकड़ मानवता का प्रमाण है,,


खामोशी हकीकत बयां कर जाती 

तड़प हर दर्द सह जाती,

नफरत आंसू बनकर बह जाता

दर्द दवा बनकर दिल में ही रह जाता,, 


पर्दे लगा लो चेहरे पर हजार 

एक दिन उतर ही जाते ,

एक न एक दिन हकीकत बयां कर ही जाते 

कल श्रृंगार मन का ,,


"चेहरा तो कुछ पलमें ही धूल  जाता

करो मन का श्रंगार

जो सारा जीवन एक कहानी बनकर रह जाता 

सादगी का कोई मोल नहीं 

श्रृंगार बिन पैसे कोई योग नहीं" !!


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