STORYMIRROR

मानव सिंह राणा 'सुओम'

Abstract

4  

मानव सिंह राणा 'सुओम'

Abstract

पूछता है मानव

पूछता है मानव

1 min
399

कभी कभी

पूछता हैं मेरे मन का मानव?

एक मानव ढूंढता हूँ

जो हो मानव सा

जिसमें मानवता हो

जिसको देखकर कहे

हर कोई ये हैं मानव

पर इस मानवतावादी दुनिया में

एक मानव नहीं दिखता

कहीं नहीं

वाकई विश्वास करो मेरा

कहीं नहीं

एक मानव

फिर मन झकझोरता हैं

क्यों नहीं

एक भी मानव

दुर्घटना का वीडियो बनाते

इन प्राणियों में

दर्द में हँसते इन प्राणियों में

माँ बाप को घर से बाहर का

रास्ता दिखाते इन प्राणियों में

किसी मानव की समस्याओं पर

मनोरंजन करते इन प्राणियों में

कागज के कुछ टुकड़ों पर

नाचते इन प्राणियों में

मिलावटी चीजे बेचते इन प्राणियों में

दूसरे की ठगी करते इन प्राणियों में

भाई के साथ जानवर की तरह

लड़ते इन प्राणियों में

क्या आपको दिखता है मानव?

पूछता हैं मेरे मन का मानव?

पूछता हैं मेरे मन का मानव?


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract