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ritesh deo

Abstract

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प्रेम का गुलाबी इंतजार

प्रेम का गुलाबी इंतजार

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सुनो दिकु...


सुख-चैन, सब से हाथ धो दिया,

ऐसा हाल हुआ मेरा,

जब से मैंने तुम्हें खो दिया।


तुम थी तब यह ज़िंदगी में आनंद अपार था,

उस के बाद दुख के सागर में ख़ुद को डुबो दिया

ऐसा हाल हुआ मेरा,

जब से मैंने तुम्हें खो दिया।


सब के बीच तो हंसना ही पड़ता है,

हकीकत में तो जीने का दिल भी नहीं करता है,

अपनी इन परिस्थितियों पर ही,

में बेशुमार रो दिया,

ऐसा हाल हुआ मेरा,

जब से मैंने तुम्हें खो दिया।


ज़िंदगी चुनौतियां दिए जा रही है,

मेरी धड़कनों को वह तेज़ बढ़ा रही है,

और यह विकट घड़ी में भी,

तुम्हारे एहसासों की नमी मुजे सहला रही है


मुश्किलों को दर-किनारे कर

तुम्हारे ही ख्यालों में मैं सो दिया

ऐसा हाल हुआ मेरा,

जब से मैंने तुम्हें खो दिया।


*प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिए*



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