मन का बक्सा
मन का बक्सा
एक दिन
फुरसत में टटोला,
मन के बक्से को,
भरा पड़ा था !
एक कोने में
पुरानी बोझिल सी
यादों के गट्ठर रखे थे !
नीचे कुछ फाइलें
दबी पड़ी थी,
खोल के देखा तो
ख्वाहिशों की अर्जियां थी !
कुछ सुनहरी जिल्द वाले
छोटे छोटे डिब्बे भी थे,
जिनमें दोस्तों संग बीते
पलों के उपहार बंधे थे !
अचानक छिल गई अंगुलि,
लहूलुहान हो गई,
गौर से संभाला तो,
वो टूटे ख्वाबों की सहेजी
कोई कांच की किरच थी !
एक सुगंधित इत्र की
खूबसूरत बोतल भी थी,
जिसमें पहले प्यार की
महक भरी थी !
पुरानी किताब में
रखा था सूखा फूल,
उसके साथ गुजारे वक्त की
खुशबू समेटे था ! !