STORYMIRROR

Neelam Arora

Abstract

4.2  

Neelam Arora

Abstract

ए सपने

ए सपने

1 min
217


एक सपना पला था पलकों तले,

कोकून की तरह,

एक दिन हौसलो के पंख पा कर,

वर्जनाओं की दहलीज लांघ कर,

उड़ गया तितली बन कर।

मगर आसमान ऊंचा बहुत था,

पंख थे अभी कमजोर,

मंडराता रहा इधर उधर,

नहीं मिला कोई ओर छोर।

ए सपने,

काश!तू बाज़ होता, तो

नील गगन में ऊंचा उड़ता।

ए सपने,

काश! तू बादल होता, तो

घना हो कर खुल के बरसता!!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract