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Neelu Bhateja

Abstract

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Neelu Bhateja

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एक सपना.....

एक सपना.....

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एक सपना पला था

पलकों तले,

कोकून की तरह,


एक दिन हौसलों

के पंख पा कर,

वर्जनाओं की दहलीज लांघ कर,

उड़ गया तितली बन कर।


मगर आसमान ऊंचा बहुत था,

पंख थे अभी कमजोर,

मंडराता रहा इधर उधर,

नहीं मिला कोई ओर छोर।


ए सपने,

काश तू बाज़ होता, तो

नील गगन में ऊंचा उड़ता।


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