ज़िन्दगी का सफर
ज़िन्दगी का सफर
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सुख के क्षण,
भोगे सुख के संग।
मगर जब आया
मुश्किल वक़्त,
जाने कहाँ तुम
हो गए गुम।
तुम्हारे हाथ,
सदा थे मेरे साथ।
मगर जब थे अंधेरे
तुमने नहीं धरे,
कंधे पे मेरे
आश्वासन भरे।
हथेलियों को छूते रहे
तुम्हार उंगलियों के पोर,
मगर नहीं पोंछे आंसू मेरे
जब भीगे पलकों के किनोर।
चले थे बन कर हमसफर,
सुख की हर डगर।
दुख की सड़क आयी
जब कांटों भरी,
तन्हा पाया खुद को
नही दिखी तुम्हारी
परछाई भी।
ज़िन्दगी का सफर
यूँ हुआ बसर,
हंसे तो संग संग
रोये तन्हा बैठ कर।