मैं सोचती हूँ और डरती हूँ कहीं वक़्त के तूफ़ान में मैं भी उड़ न जाऊं। मैं सोचती हूँ और डरती हूँ कहीं वक़्त के तूफ़ान में मैं भी उड़ न जाऊं।
समझना जरूरी है कीमत प्रकृति की, वक्त गुजर रहा है मुट्ठी में बंद रेत की तरह।। समझना जरूरी है कीमत प्रकृति की, वक्त गुजर रहा है मुट्ठी में बंद रेत की तरह।।
वो अचरज मे पड़ जाते हैं शहरों की सड़कों पर...। वो अचरज मे पड़ जाते हैं शहरों की सड़कों पर...।
तेरा होना है सुक़ून जैसे ठंडक रूह की। तेरा होना है सुक़ून जैसे ठंडक रूह की।
हरी - हरी जब बत्ती दिखती निकले सीना तान सड़क सुरक्षा का पापा जी ! हरी - हरी जब बत्ती दिखती निकले सीना तान सड़क सुरक्षा का पापा जी !
क्योंकि स्याही मेरी थोड़ी हरी है व थोड़ी लाल है। क्योंकि स्याही मेरी थोड़ी हरी है व थोड़ी लाल है।