Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

निखिल कुमार अंजान

Abstract

3  

निखिल कुमार अंजान

Abstract

माँ शब्द नही संसार है.......

माँ शब्द नही संसार है.......

1 min
391


यह सिर्फ शब्द नही संसार है

जीवन का मजबूत आधार है

रोम रोम मे उसके होती ममता

वह निस्वार्थ वाला प्यार है

अपनी खुशियाँ न्यौछावर कर

बालक की मुस्कान मे ही

अपना संसार बसाती है

इक माँ शब्द सुनने खातिर

वह इतने कष्ट उठाती है

मातृत्व सुख की चाह मे

नौ माह का तप कर जाती है

अपना स्तनपान करा कर

इक नारी से माँ बन जाती है

रात रात भर जागकर लोरी गा

गोद मे अपनी प्रेम से सुलाती है

लालन पालन मे व्यस्त होकर

अपनी सुध भी न रह जाती है

पहला शब्द जीव्हा से निकले माँ

वह सुन यह धन्य हो जाती है

भिन्न भिन्न अभिनय कर वह

रुठे अपने बालक को मनाती है

मुख देख अपनी संतान का

हर गम से मुक्त हो जाती है

ममता करुणा एंव दुलार का

सागर सदैव वह लुटाती है

माँ ईश्वर तुल्य कहलाती है

कुदरत का यह अनुपम उपहार है

माँ सिर्फ शब्द नही पूरा संसार है

हर जीव के जीवन का आधार है

निराकार है जो ईश्वर...माँ उसका

रुप साकार है......




Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract