हे ईश्वर तेरा ये उपहास किसलिए पीर क्यों जग उदास सहमा उपवन छाया कुहास हे ईश्वर तेरा ये उपहास किसलिए पीर क्यों जग उदास सहमा उपवन छाया कुहास
दो जिस्म पर एक रूप होते हैं। दो जिस्म पर एक रूप होते हैं।
एक सपना पला था पलकों तले, कोकून की तरह! एक सपना पला था पलकों तले, कोकून की तरह!
कुछ ठोकर से आहत था शायद मेरे पास रह इसे कुछ राहत था! कुछ ठोकर से आहत था शायद मेरे पास रह इसे कुछ राहत था!
मेरी मौत के बाद आंसू मत बहाना कोई, मैं खुद को इस ज़माने से पहले ही मार चुकी हूँ। मेरी मौत के बाद आंसू मत बहाना कोई, मैं खुद को इस ज़माने से पहले ही मार चुकी हू...