STORYMIRROR

Kumar Ritu Raj

Abstract

4.1  

Kumar Ritu Raj

Abstract

वो अकस्मात जिंदगी में आया था

वो अकस्मात जिंदगी में आया था

1 min
261


कुछ घबराया हुए कुछ लुभाया हुए

मार्ग किनारे हमने इसे पाया था

उन्हें मदद की आस थी

शायद जीने की विश्वास थी


कुछ ठोकर से आहत था

शायद मेरे पास रह इसे कुछ राहत था

कुछ क्षण पास रह उड़ने का प्रयास था

पर उनका हर प्रयास बेकार था


हमने इन्हें प्रकृति घुमाया था

जब वो चींटियों से घिर

हमने इन्हें तब भी बचाया था

सांस लेना मत भूलना

हमने इन्हें ये सुनाया था


अब रहा ना कुछ दिखाने को

अपनी ताकत दोबारा आजमाने को

आखरी छान वो इस तरह सो गया

जैसे किसी और दुनिया में कही खो गया।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract