शब्बा खैर ! शब्बा खैर !
भूल मत पर रात तो खुद एक टीका है, वो चाँद ही है जिसे लगता है ग्रहण...! भूल मत पर रात तो खुद एक टीका है, वो चाँद ही है जिसे लगता है ग्रहण...!
सूरज की किरणों को एकनई दुल्हन की तरह सजा कर लाती है... सूरज की किरणों को एकनई दुल्हन की तरह सजा कर लाती है...
अमावस की रात है चन्द्रमा बिन ऐसी ही काली अंधेरी होती है... अमावस की रात है चन्द्रमा बिन ऐसी ही काली अंधेरी होती है...
अंधेरा बढ़ता ही जा रहा था रात और भी घनी होती जा थी मानो, इस रात की सुबह नहीं...! अंधेरा बढ़ता ही जा रहा था रात और भी घनी होती जा थी मानो, इस रात की सुबह नहीं....
रश्मि सज-धज कर देखो चली है मिलने प्रियतम से। रश्मि सज-धज कर देखो चली है मिलने प्रियतम से।