STORYMIRROR

Kumar Naveen

Abstract

5.0  

Kumar Naveen

Abstract

प्यारा बचपन

प्यारा बचपन

1 min
517


समय की बहती धारा में,

गुम हुए हमारे अल्हड़पन ।

चलो ढूँढ़कर लाते हैं,

फिर से अपना प्यारा बचपन ।।


गुड्डे-गुड़ियों की शादी में,

हम रहते थे बेफिक्र मगन ।

कागज की कस्ती हाथ लिए,

ख्वाबों से भरे बेबाक नयन ।।

चलो ढूँढ़कर लाते हैं,

फिर से अपना प्यारा बचपन ।।


आँखमिचौली, चोर-सिपाही,

हम करते थे, हर खेल चयन ।

क्या मजे थे गिल्ली-डंडे में,

मुट्ठी में कैद संपूर्ण गगन ।।

चलो ढूँढ़कर लाते हैं,

फिर से अपना प्यारा बचपन ।।


टोली संग, बढ़ते आगे हम,

उड़ती तितली संग पार्श्व गमन ।

कभी खेतों में, कभी गलियों में,

भर स्वर कोयल संग झूमें मन ।।

चलो ढूँढ़कर लाते हैं,

फिर से अपना प्यारा बचपन ।।


हर सुबह खिली खुशियाँ अनंत,

माँ की लोरी संग रात शयन ।

अब यादों में ही दिखते हैं,

पापा के कंधों का झूलन ।।

चलो ढूँढ़कर लाते हैं,

फिर से अपना प्यारा बचपन ।


मिट्टी की सौंधी खुशबू में,

रहते थे सने संपूर्ण बदन ।

बना घरौंदा, अंबर नीचे,

क्या सजता था, अपना गोबन ।।

चलो ढूँढ़कर लाते हैं,

फिर से अपना प्यारा बचपन ।।


अब अपनी जिम्मेवारी में,

उलझे, डूबे, करते चिंतन ।

आँखों से मोती झरते हैं,

कितना प्यारा था, वो बचपन ।

चलो ढूँढ़कर लाते हैं,

फिर से अपना प्यारा बचपन ।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract