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ritesh deo

Abstract

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ritesh deo

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बेरोजगार

बेरोजगार

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आज के युवा देखो

कैसे हुए बेहाल हैं

रोजगार नहीं है कोई

महंगाई की मार है

आज हालात जो हो रहे विश्व के

सब में बेचैनी बेशुमार है

क्या करें क्या न करें

मुश्किल में परिवार है

जन्म हुआ है दुनिया में

जीना हमारा अधिकार है

ज़िंदा है तो खाना भी होगा

मगर महंगाई से लाचार हैं

जो पैसे थे माँ-बाप के

लगा दिए सब पढ़ाई पर

सोचा था पढ़ लिखकर

बन जाऊंगा इक दिन अफसर

पर शिक्षा सब बेकार है तब तक

जब तक उसका कोई लाभ न हो

घर परिवार चलाएं कैसे

जब हाथ में कोई रोजगार न हो।


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