सब नाते अनजान सफर किसी का कोई अपना नहीं सब नाते अनजान सफर किसी का कोई अपना नहीं
कठोर हो निकला मैं, इतना कठोर कि अग्नि- पुत्र से मैं अग्नि- पिता बन चला कठोर हो निकला मैं, इतना कठोर कि अग्नि- पुत्र से मैं अग्नि- पिता बन चला
हमने भी कुछ सपने, बुन कर रखे थे मिट्टी के संग । हमने भी कुछ सपने, बुन कर रखे थे मिट्टी के संग ।
ये यादों का मिट्टी का गुल्लक मेरा बिखरना चाहता है उन कणों में न द्वेश भाव न किसी की प्रीत का राग ... ये यादों का मिट्टी का गुल्लक मेरा बिखरना चाहता है उन कणों में न द्वेश भाव न कि...
त्यौहारों की छटा निराली हर घर में खुशहाली है राम - रहीम के घर में देखो रोज ईद -दिवाली है... त्यौहारों की छटा निराली हर घर में खुशहाली है राम - रहीम के घर में देखो ...
तुम भी ज़रूर रहे होगे, बचपन के दोस्त गलियाँ खेल, याद ज़रूर आते होंगे तुम भी ज़रूर रहे होगे, बचपन के दोस्त गलियाँ खेल, याद ज़रूर आते होंगे